आज....
आज रोने का मन किया, तो तेरे कांधे की याद आयी, ऐ दोस्त ..... आज ज़माने की भीड़ में एक साथी की खोज में था, तो तेरी आवाज़ याद आयी, मुझे बेहेन मेरी.... आज इस मोड़ पर किस रस्ते को चुनूँ, ये समझ न सका , तो आपकी सम्झाहिश याद आयी, पापा... आज ज़िन्दगी की दौड़ में थक के भी नींद नहीं आयी, तो तेरे आंचल की छाव याद आयी,मेरी माँ.... आज फुर्सत से बैठा आइने के सामने, तो किसी शायर की ये बात याद आयी.... है कितना मतलबी इन्सान, अपनी परछाई से पूछो, कहा उसने, मेरी भी तो याद तुझे अँधेरे में ही आयी...... -Ashk