जुरत कर बैठ.....
आज तमनाओ को पर मीले,
तो उड़ने की जुरत कर बैठे...
सहमे से खड़े थे तेरे इंतज़ार में,
आज चलने की जुरत कर बैठे ...
यूँ तो महफ़िल में मुस्कराते थे हम,
तुझको देखा तो रोने की जुरत कर बैठे...
कहा तक छुपाते इन्हें ये भी तो बता,
तेरी बाँहों में पिघलने की ये भी जुरत कर बैठे....
जो देखा तुझको उसके कांधे पे सर टीकाते हुए,
न चाहते हुए भी तेरी ख़ुशी में मुस्कराने की जुरत कर बैठे....
अक्सर जो सुलझाई थी जुल्फे इन हाथों से हमने,
उन्ह उसके सीने पे बीख्री देख कर,
कुछ और यादों को भुलाने की जुरत कर बैठे ....
जब मीलाया तुने उससे हमे,तेरे लब पे उसका नाम सुनके ,
उन होठों की नमी को भुलाने की जुरत कर बैठे ....
कहा जो उसने , आज मेरे आशीयाने में ही रुक जा ,
तेरी बड़ी हुई सांसो को नाप कर , तेरी नादानी पे मुस्कुराने की जुरत कर बैठे ...
देख के मेरी आँखों की नमी को , जो नज़रें चुरा ली तुने ,
ये नज़रें झुका ली जो तुने ,
अपनी हर साँस तेरे नाम करने की जुरत कर बैठे,
तुझसे मोहबत करने की जुरत कर बैठे ......
-Ashk
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